पोथी पढ़कर
पोथी पढ़कर फैंक दी हुआ न कुछ भी ज्ञान।
नहीं किया चिंतन मनन सोये चादर तान।।
सोये चादर तान नींद में सभी भुलाने।
नहि मिल पाया ज्ञान. अकिभी तक रहे अयाने।।
करें निरर्थक तर्क दलीलें देते थोथी।
दिया न कोई ध्यान फैंक दी पढ़ कर पोथी।।
जयन्ती प्रसाद शर्मा