पॉजिटिविटी
तीन घण्टे की परीक्षा में
प्राप्त होने वाला तो
सिर्फ कागजी अंक है,
कम आने पर भी
कोई होते नहीं रंक है।
बेहतर तो वो बच्चा है
जो पियानो बजाता है
फुटबाल के खेल में
बढ़िया किक जमाता है
मिमिक्री कर लेता है
कविता-कहानी लिख लेता है
हालात को भी
अच्छी तरह समझ लेता है
पानी में भी वह
सलीके से तैर लेता है।
इस दुनिया में तो
हुनर मायने रखता है
फर्राटे दौड़ने वाले ही नहीं
सम्हलकर चलने वाले भी
मंजिल तक पहुँचता है।
तनाव, दबाव, अभाव को
झेल लेना ही
काबिलियत की सही पहचान है,
जरा सोचिए
औरों की तुलना से बचिए
पॉजिटिविटी ही बनाती इंसान है।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
(टैलेंट आइकॉन-2022 तथा साहित्य एवं लेखन के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड-2023 प्राप्तकर्ता)