पैसा पैसा कैसा पैसा
पैसे का यह रूप देखिए,सबके दिल और दिमाग पर छाया है।
बंद आँखों से दौड़े हर कोई,कोई कुछ भी समझ नहीं पाया है।।
क्या क्या पीछे छोड़ रहा तू,इस पैसे को पाने की खातिर।
और कितनी समस्यायें जोड़ रहा है,यह पैसा कमाने की खातिर।।
स्वास्थ पे तूने ध्यान ना दिया,नाश्ता कभी समय पर ना किया।
मंदिर मस्जिद भूल गया सब,क्यों बुर्जुगों से आशीष ना लिया।।
संस्कार क्यों छोड़ रहा है,रिश्ते नाते भी पीछे क्यों छोड़ रहा है।
मर्यादा मान और सम्मान छोड़,क्यों पैसे के पीछे दौड़ रहा है।।
जिन लोगों ने दौड़ दौड़ कर,पैसा तो है बहुत कमाया।
सारा पैसा देकर भी वो क्यों,जीवन अपना बचा नहीं पाया।।
जीवन की सच्चाई को समझो,ये पैसा कमाना बहुत जरूरी है।
पर समय पे खाना समय पे सोना,और स्वस्थ शरीर भी तेरी मजबूरी है।।
व्यायाम प्रभुनाम और भोजन,को अपनी दिनचर्या बना ले।
मात पिता का ले आशीष और,फिर जितना चाहे पैसा कमा ले।।
जल्दी उठना और जल्दी सोना,जिस दिन तुझको आ जायेगा।
सबके दिलों पर राज करेगा,और खुद भी तू खुश रह पायेगा।।
खुशियों से जीवन भर जाएगा,और खुशियां बाँट भी तू पायेगा।
कहे विजय बिजनौरी तुझसे,ये तेरा जीवन सरल भी हो जायेगा।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी