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8 Mar 2018 · 2 min read

पैमाना (नारी मह्तव , नारी गौरव)

पैमाना (नारी मह्तव , नारी गौरव)

औरत कोई खिलौना नहीं उपभोग की वस्तु नहीं जिससे जब जी चाहा खेला जाए! यह तो वह करुणामय मूरत है !जो मौत की गोद (दर्द )में से जिंदगी का इस अद्वितीय संसार से परिचय कराती है! औरत कितनी महान है इसका व्याख्यान एक अती दुर्लभ कार्य है! यह पल पल प्रताड़ना सहती है कभी भेद की कभी द्वेष की कभी दहेज के लिए इसे जलाया जाता है कभी अपने मन को बहलाया जाता है! देव युग में भी नारियों को कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा था! एक वह वक्त था जहां सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा! एक यह युग है जिसमें सिताओं का संख्यात्मक मान अति दीर्घ स्तर को भेद रहा है ! यदि औरत के दायित्वों का व्याख्यान करने का विचार मन में जगह बनाए भी तो यह दुर्लभ कार्य है! औरत मां बहन पत्नी और ना जाने कितने दायित्वों का संचालन करके इस संसार की नियति को खतरे के बाेध से अनभिज्ञ रखती है!?क्या विज्ञान ने हमें कोई ऐसा स्केल याँ पैमाना बना कर दिया!जिससे हम नारी महत्त्व या उसके गौरव का आकलन कर सकें ! यह विचार मेरे हृदय में तीक्ष्ण जिज्ञासु भाव को उत्पन्न कर रहा है!तथा विज्ञान की असमर्थता से परिचित करा रहा है! कि वह लंबाई द्रव्यमान दूरी के मात्रकों की खोज करने में तो सक्षम है किंतु वह नारी के महत्व गौरव का मापन करने वाले यंत्र को बनाने में क्यों असमर्थ है?यदि केवल विज्ञान की असमर्थता का जिक्र किया जाए!
तो हम आध्यात्मिक को भूल जाते हैं !
परंतु आध्यात्म भी इस प्रकार के किसी पैमाने हेतु असमर्थ है !तब इस अज्ञात पैमाने की खोज किस प्रकार हो !यही प्रश्नवाचक चिन्ह पुनराव्रती के साथ मेरे हृदय को व्याकुल कर रहा है !
इसका मापन केवल भावनाओं के द्वारा हो सकता है !

नारी से है धरती ?
नारी से आसमान?
नारी नहीं तो तु मैं नहीं ??
फिर कहां है ?ये जहान???????
CS.NEGI

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 310 Views
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