Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2019 · 1 min read

पेड़ का दर्द

काट जंगल नगर हम बसाते रहे
पेड़ चुपचाप आँसू बहाते रहे

पेट जिसने भरा और दी छाँव भी
आरियाँ उस बदन पर चलाते रहे

झूलते हम रहे डाल जिसकी पकड़
काट कर हम उसी को जलाते रहे

इन परिंदों के घर तोड़कर हम यहाँ
आशियाने को अपने सजाते रहे

मुड़ के उनकी तरफ देखते भी नहीं
कहने को पेड़ कितने लगाते रहे

स्वार्थ में काट कर पेड़ हम ‘अर्चना’
अपनी धरती को बंजर बनाते रहे

08-09-2017
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Like · 319 Views
Books from Dr Archana Gupta
View all

You may also like these posts

*शिक्षक जिम्मेदार, देश का धन है असली (कुंडलिया )*
*शिक्षक जिम्मेदार, देश का धन है असली (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हाइकु: गौ बचाओं.!
हाइकु: गौ बचाओं.!
Prabhudayal Raniwal
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
चला गया
चला गया
Mahendra Narayan
कुछ बातें मन में रहने दो।
कुछ बातें मन में रहने दो।
surenderpal vaidya
sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
sp133 मैं अज्ञानी /वामपंथी सेकुलर/ वह कलम की धार
Manoj Shrivastava
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Struggle to conserve natural resources
Struggle to conserve natural resources
Desert fellow Rakesh
ज़िंदगी में इक हादसा भी ज़रूरी है,
ज़िंदगी में इक हादसा भी ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बे-असर
बे-असर
Sameer Kaul Sagar
4806.*पूर्णिका*
4806.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रोला छंद :-
रोला छंद :-
sushil sarna
■ समझने वाली बात।
■ समझने वाली बात।
*प्रणय*
" क्रीज "
Dr. Kishan tandon kranti
सोचा नहीं था एक दिन , तू यूँ हीं हमें छोड़ जाएगा।
सोचा नहीं था एक दिन , तू यूँ हीं हमें छोड़ जाएगा।
Manisha Manjari
ग़ज़ल
ग़ज़ल
अनिल कुमार निश्छल
ललकार ने ललकार मारकर,
ललकार ने ललकार मारकर,
श्याम सांवरा
तू ही बता ,तू कैसा
तू ही बता ,तू कैसा
Abasaheb Sarjerao Mhaske
........,?
........,?
शेखर सिंह
क्या तुम्हें लगता है कि
क्या तुम्हें लगता है कि
gurudeenverma198
जिंदगी तो धोखा है आज नहीं तो कल साथ छोड़ जाएगा ll
जिंदगी तो धोखा है आज नहीं तो कल साथ छोड़ जाएगा ll
Ranjeet kumar patre
आस बची है थोड़ी, पूरा निराश नही हुँ ,
आस बची है थोड़ी, पूरा निराश नही हुँ ,
पूर्वार्थ
सांसों का साज
सांसों का साज
Akash RC Sharma
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
"इन्तेहा" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
दोहा छंद विधान ( दोहा छंद में )
Subhash Singhai
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
कवि रमेशराज
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
Loading...