पेड़ – बाल कविता
हरे – भरे से रहते खड़े,
हठ अपनी पर वो अड़े।
आँधी, वर्षा या तूफान,
सबके समक्ष सीना तान।।
दूर गगन से करते बातें,
धरती में हैं जड़ें जमाते।
देते मानव को यह सीख,
शीश उठाकर जीना सीख।।
वृक्षारोपण सब अपनायें।
धरती पर नवजीवन लायें।
पर्यावरण जब संरक्षित होगा,
जीवन सबका सुरक्षित होगा।।
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- ०२/०५/२०१८.