“” *पेड़ों की पुकार* “”
“” पेड़ों की पुकार “”
******************
( 1 )” आओ ”
सुनें पेड़ों की पुकार,
चलें पुकारें धरा गिरि पर्वत सारे !
लगाएं वृक्ष लताएं वनस्पतियाँ यहाँ पे…,
और करें प्रकृति श्रृंगार मिलके सारे !!
( 2 ) ” बचाएं “, बचाएं
धरा को भू-सख्लन से,
और रोकें भूमि को, बंजर बनने से !
चलें सहजते प्रकृति का पर्यावरण..,
और बचाएं मानवजाति को यहाँ सूखे से !!
( 3 ) ” प्राणवायु “, प्राणवायु
घटती जा रही दिनोंदिन,
कट रहे वन उपवन जंगल सभी !
अभी भी नहीं चेते ग़र हम यहाँ पे….,
तो,वो दिन दूर नहीं जब हम न बचेंगे सभी !!
( 4 ) ” संरक्षण “, संरक्षण
करें वर्षा भू जल का,
प्रकृति के साथ कभी खिलवाड़ न करें !
है जल तो है कल सुरक्षित हमारा…..,
वरना, होगा जीना दूभर सभी का यहाँ पे !!
( 5 ) ” पंचमहाभूत “, पंचमहाभूत
में समाए हैं भगवान,
सभी जड़ चेतन तत्त्व हैं इनके ही रूप !
छिति जल पावक गगन समीरा हैं घटक.,
समझें ये सच,बचाए चलें वसुंधरा का स्वरूप !!
¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥
सुनीलानंद
गुरुवार,
30 मई, 2024
जयपुर
राजस्थान |