पेंगुइन संवाद
एक दिन बेबी पेंगुइन ने अपने बाबा पेंगुइन से कहा,
मुझे इस बिल्ली मौसी से डर लगता है,
जो शेर की तरह दहाड़ रही है,
लगता है मुझको कच्चा खा जाएगी ,
बाबा पेंगुइन ने कहा बच्चा !
जब तक बंदर मामा का डंडा अपने साथ है ,
तो घबराने की क्या बात है ,
मत घबराओ चुप रहो देखते रहो तमाशा ,
बेबी पेंगुइन ने कहा कैसे चुप रहूं ,
ये कौवे भी उसका साथ दे रहे हैं ,
दिन भर कांव-कांव करके नाक में दम किए बैठे हैं,
बाबा पेंगुइन ने कहा अपना भी वक्त आएगा ,
जब बंदर मामा डंडा चलाऐंगे ,
तब देखना यह बिल्ली मौसी जो शेर की तरह दहाड़ रही है ,
चूहे की तरह दुबक जाएगी,
ये कौवे भी जो कांव-कांव करके नाक में दम किए हैं ,
फुर्र से उड़ जाएंगे ,
फिर जिसकी लाठी होगी उसी की भैंस होगी ,
फिर ये शोर न होगा , चारों ओर शांति ही शांति होगी ,