पूर्णिमा की रात का पूर्ण चांद
चांद के
न जाने
कितने रंग हैं
आकार हैं और
रूप हैं
लेकिन
मुझे तो
सबसे ज्यादा पसंद है
लुभाता है
मेरे दिल में उतर
जाता है
उसका पीला सुनहरी रंग
पूर्णचंद्र आकार
दिव्य रूप
मुझे तो भाता है
पूर्णिमा का चांद
अपने पूर्ण रूप में
दिखता है
अपने अनुपम अनुपम सौंदर्य की
छटा हर सू बिखेरता है
कभी सफेद, कभी पीला,
कभी लाल
न जाने रात भर में
पल पल
कितने रंग बदलता है
अपनी धुन में
अपनी गति में
अपनी राह में
आगे बढ़ता रहता है
रात के आसमान के
काले अंधियारे में
एक मंदिर में रखे
दीपक के प्रकाश सा
अपने चारों तरफ
उजाला भरता है
हर किसी के दिल में
रोशनी भरता है
हर किसी के बुझे सपनों में
एक नई चिंगारी की ऊर्जा का
संचार करता है
हर किसी की सांसो में
एक नया जीवन भरता है
पूर्णिमा की रात
पूर्णिमा का चांद
उस रात
हर किसी की रात
एक पूर्णता के
अहसास से
भरता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001