पूनम की रात
आज पूनम की रात है।
चन्द्रमा भी साथ है
नैनों की भाषा पढ़ने में
रवि का दिल बेताब है।
छिटक रही है चाँदनी
गूंज रही मधुर रागनी
बह रही शीतल मंद बयार है
रवि को पूनम से प्यार है।
रेशमी घास के गलीचों में
झिलमिला रही है शबनमी बूंदें
उस पर साथ चलने को
कवि रवि भी तैयार है।
पूनम की रात भी
क्या जादू चलाता है
लहरें होती हैं पागल
सागर भी कसमसाता है।
जब दोनों साथ होते हैं
सतरंगी ख्वाब बुनते
चाँद जिसे अपना कहता
वह रवि का ही प्रतिबिंब है
रवि की हर कहानी में
पूनम का जिक्र आता है
कैसे बतलाये जग को
रवि – पूनम का क्या नाता है।
◆ रवि शंकर साह “बलसारा”
बैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड
सम्पर्क सूत्र-7488742564
©मौलिक, स्वरचित