पूनम का चांद
काबिल हर दीदार के तो, दीदार करू क्यूं ना।
पूनम की प्यारी चांदनी हो, फिर प्यार करु क्यूं ना ।।
तुझे निहार के मै जितना, अंग अंग ही मुस्काता ।
तेरा घटना बढ़ता मुखड़ा, एक रात कलुशी लाता ।।
फिर किसका करूं दीदार, वह नजर ना आए रूप।
आकाश का भ्रमण करके, दोऊ नैना जाए सूख ।।
तेरी पूनम की आशा में, अंखियों को बचाके राखू ।
तेरे संगी साथी तारे, या गगन सितारे तांकू ।।
पर नहीं है वो शीतलता, जो पूनम में पाई है ।
ना मिली कहीं सुंदरता, तेरे मुख पर जो छाई है।।
इन मधुर श्वेत किरणों से, विरह मिले प्रेमी को।
काटे रात चकोरी, ना हटती एक टकी को।।
सोलह तेरी कलाएं, मुझे एक कला ही भाती ।
सभी कलाओं की सिरमौर, चांद की पूनम राती।।
ना चोर चोरी का डर हो, सब जागते रहे दीदारी ।
शत रस टपके किरणों से, कटे अमृत सम बीमारी।।
तेरी खिलती रहे मधु चांदनी,हर रात हो पूरणमासी।
कुसुम पात सा झुमके, गुणगान करें संतोषी।।