पूछ रही नन्हीं गौरैया
पूछ रही नन्हीं गौरैया, आप बताओ दादा भैया
उजड़ रहे हैं नीड़ मेरे, नहीं मिल रहा दाना पानी
कैसे अपनी जान बचाऊं, कैसे मैं अस्तित्व वचाऊं
पूछ रही नन्हीं गौरैया,आप बताओ दादा भैया
सिकुड़ रहे जल जंगल जग में, सिकुड़ रही है धरती
उजड़ गए सब नीड़ पुराने, तुमने कंक्रीट भर दी
कहां बनाऊं नया घोंसला, तुमने तो हद ही कर दी
कहां रहूं क्या खाऊं जहां में, कैसे चले ये जीवन नैया
पूछ रही नन्हीं गौरैया
आसमान में तार बिछाए, उड़ते उड़ते हम टकराए
काटे पर मेरे पतंग ने, घायल हुए जमीन पर आए
टावर के रेडिएशन से, कितनों ने अपने प्राण गवाएं
बचे हुए परिवार भी मेरे, कीटनाशक से हुए सफाए
कैसे मेरी जान बचे, कोई उपाय तो होगा भैया
पूछ रही नन्हीं गौरैया
कोई गुलेल से मार रहा है, एयरगन भी दाग रहा है
गीत चहकना भूल गई हूं, और फुदकना भूल गई हूं
छाए हैं संकट के बादल, कौन मिलेगा मुझे खिवैया
पूछ रही नन्हीं गौरैया