पुस्तक समीक्षा- राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
#ग्रंथ_समीक्षा -राना लिधौरी:गौरव ग्रंथ
समीक्षक- #प्रभुदयाल_मिश्र, भोपाल
#कीर्तिर्यस्य_स:जीवति
मुझे श्री रामगोपाल रैकवार द्वारा संपादित और जी टी एक्स पब्लीकेशन दिल्ली से प्रकाशित ‘#राना_लिधौरी: #गौरव_ग्रंथ’ को प्राप्त कर प्रसन्नता हुई । 51 वर्ष की आयु की पूर्णता पर इतने महाकाय (सवा चारसौ पृष्ठ) के इस ग्रंथ में श्री लिधौरी पर केंद्रित आलेख, कविताएँ, महत्वपूर्ण संदेश तो हैं ही, श्री लिधौरी के स्वयं के कृत्रित्व के भी विविध आयाम उद्घाटित हैं ।
श्री राना लिधौरी न केवल साहित्य सृजन में सतत निरत हैं अपितु वे बुन्देलखंड के हृदय केंद्र टीकमगढ़ के प्रेरणा पुरुष और क्षेत्रीय विरासत के समर्पित शोधार्थी भी हैं । मध्यप्रदेश लेखक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष के रूप में मैंने उनकी सक्रिय भूमिका का अनेकश: संदर्शन किया है । टीकमगढ़ क्षेत्र की उनकी सार्थक रचनात्मक सक्रियता, संयोजना और सार्थक शोध यात्रा का भी मुझे निरंतर अभिज्ञान होता रहा है ।
महाभारत में युधिष्ठिर यक्ष (धर्मराज) के एक प्रश्न के उत्तर में कहते हैं – कीर्तिर्यस्य स: जीवति । अर्थात् मनुष्य की कीर्ति ही उसकी दीर्घजीविता है । इस प्रकार एक अर्थ में श्री राजीव नामदेव राना ‘लिधौरी’ अपनी जीवन यात्रा के द्वितीय चरण में ही कीर्तिवान- गौरव-ग्रंथ की विषयवस्तु बने हैं जो एक अतीव उल्लास का प्रसंग बनता है ।
मेरा उनकी इस यश-यात्रा के सहयोगी और सहयात्रियों के प्रति भी प्रशंसा भाव है कि उन्होंने श्री राना के व्यक्तित्व और कृत्रित्व का सारयुक्त समाकलन रचना संसार को उपलब्ध कराया ।
#प्रभुदयाल_मिश्र,
#अध्यक्ष_महर्षि_अगस्त्य_वैदिक संस्थानम् और प्रधान संपादक तुलसी मानस भारती, #भोपाल (9425079072)