पुलिस की चाल
ऐसा तो है चाल पुलिस का,
ऐसा तो है चाल।
ऐसा तो है. . . . . .
चोर को कहते हैं चोरी करो,
और लोगों को कहते हैं जागते रहो।
पहने हैं वर्दी रिश्वत का,
जेब को कहते हैं भरते रहो।
हाथी के जैसे दांत है इनके,
पल पल चोला बदलते रहो।
दोस्ती अच्छी न दुश्मनी अच्छी,
इनके सपड़ में आये तो, करेंगे बारा हाल।
ऐसा तो है चाल . . . . . .
सट्टा जुआ के अड्डा में,
इनका ही डंडा चलता है।
दारू के मंदिर में भी देखो,
इनका ही घंटा बजता है।
दारू मटन डकार कर कहते हैं,
अरे फीका है यार दाल
ये चोर पुलिस का खेल है यारो,
ले लेते हैं बंटवारे में, अपने हिस्से का माल।
ऐसा तो है चाल . . . . . .
रिश्वत देकर छुट जाते हैं,
मार काट करने वाले।
जाल में उनके फंस जाते हैं,
सीधे साधे दिखने वाले।
शतरंज को भी मात दे दे,
चलते हैं ऐसी चाल।
फिर चैन से कुर्सी मे सोते हैं,
किसी बकरे को, करके हलाल।
ऐसा तो है चाल . . . . . .
नेताम आर सी