पुलवामा हमला
14 फरवरी का दिन साथ दोस्तों का, याद प्यार की थी साथ
चले थे यारों के हाथ में हाथ डाल।
कोई वैलेंटाइन की यादों में खोया
कोई कर रहा था मां की बात।
किसी को क्या पता, अगले ही मिनट बिछड़ जाएंगे यार ,प्यार, घर और संसार।
हुआ जो धमाका धरती भी सहम गई थी
चारों तरफ लासे ही लासे बिखर गई थी।
किसी ने दम तोड़ दिया था
कोई तड़पकर बीते पलों की बातों को सजो रहा था।
ऐसा मार्मिक पल धरती मां की गोद में कभी नहीं हुआ था
किसी की 6 माह की बच्ची ने तो किसी की 1 महीने की विवाहिता ने अपना सब कुछ खोया था।
बूढ़ी मां का आंचल रो-रोकर भीगा था
कल तक था इंतजार आने का।
आज तिरंगे में लिपटा लाल घर आया था
मां की ममता, पत्नी का प्यार, बच्चे का दुलार, सब गर्व से पुकार रहा था।
तू अमर था ,अमर है, और हमेशा अमर ही रहेगा।