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28 Sep 2021 · 1 min read

“पुरूष तुम ना समझोगे”…..

पुरूष तुम ना समझोगे….

जहाँ तक कि इन स्त्रियों ने
अपने कितने पूर्व जन्म
वर्तमान और आने वाले
सभी जन्म भी
लगा दिये हैं……
जीवन में जिह्वा के सभी स्वादों को
उत्तम बनाने के लिए
सभी को समर्पित कर….!
जिंदगी भर नाप तौल
अच्छा और बेहतर करती रही….
अपनी मुस्कान लिए व्यस्तता में बतियाती
इच्छाओं की पोटली बांधे मन के किसी कोने में…!

वहाँ एक पुरूष तुम हो
जो कभी भी उतने उत्साही नहीं रहे,
कभी उसे समझने
एक देह मात्र से अधिक…….
उसके देह के भूगोल को केंद्र मानकर…..!
और
उसे हर अवसर पर कमतर ही
समझाने की जिद में
अब तक नहीं समझे
कितने जन्मों जन्म से पाकर
उसे एक भी क्षण में….!
©®उषा शर्मा
स्वरचित एवं मौलिक अधिकार सुरक्षित

Language: Hindi
3 Likes · 288 Views
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