पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
स्त्री तुम खुदके लिए जीना छोड़ दो
सुनती रहो करती रहो सबके मन की
कुछ कहना छोड़ दो
स्त्री तुम खुदके लिए जीना छोड़ दो
सिमट जायेगा अस्तित्व मुझमें ही तुम्हारा
तुम अपनी पहचान छोड़ दो
तुम फूलों सी खिलखिलाती रहो
कलियों की तरह परिवार के गुलशन को महकाती रहो
स्त्री तुम अपने दर्द में घुल कर मुरझाना छोड़ दो
स्त्री तुम खुद के लिए जीना छोड़ दो
तुम्ही सबकी आशा तुम्ही विश्वास तुम्ही प्रेम
तुम अपने होने का भ्रम तोड़ दो
स्त्री तुम खुद के लिए जीना छोड़ दो।