“पुरुष और नारी”
“पुरुष – और- नारी ”
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जग में अनमोल हीरे,
“पुरुष” और “नारी”
दोनों मिलकर चलाते,
जीवन रूपी गाड़ी।
पुरुष गुणी, बलवान,
नारी परम संस्कारी।
नारी दुर्गा रूपिणी,
पुरुष विष्णु अवतारी।
राम जैसा बल, शौर्य,
सदाचारी, उपकारी।
नारी सीता की मूरत,
महान मर्यादा धारी।
धर्मधैर्य परीक्षा देती,
शीतल जनकदुलारी।
पुरुष तो ब्रह्म ज्ञानी,
शिव -योगी ध्यानी।
समाधि लीन सदा,
पर गृहस्थ -ज्ञानी।
पुरुष विधाता रचना,
नारी का अभिमानी।
मन बातें मन में रखे,
मुखमंडल खुशकानि।
दोनों मेहनत कर के,
तिनका तिनका जोड़े।
सपनों का महल बनाये,
फूल उपवन सजाये।
संस्कारों का पाठ पढ़ाये,
आज्ञाकारी संतान बनाये।
नभ से भी ऊंचे हौंसले,
पुरुष हमेशा ही पाये।
वसुधा जैसी अटल स्थिर,
शील नारी गुण समाये।
सुख- दुःख मिल बांटें,
अपनत्व लुटाये भारी।
सात रंगों का शुभ मेल,
प्रेम की डोरी हमारी।
जग के अनमोल हीरे,
“पुरुष -और – नारी”।
शीला सिंह
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश ?