पुरुषोत्तम मास
हिंदू पंचांग अनुसार १ वर्ष में १२ मास होते हैं
सौर और चंद्रमास में, कुछ समय के अंतर होते हैं
सौर वर्ष का माप ३६५ दिन १५ घड़ी २२ पल ५७ विपल का
होता है
चंद्र वर्ष का माप ३५४ दिन २२ घड़ी ०१ पल २३ विपल का
होता है
हर ३ वर्ष में यह अंतर १ माह जाता है
सौर बर्ष से सामंजस्य बैठाने, हर तीन बर्ष में आता है
यही एक माह पंचांग में, पुरुषोत्तम मास कहलाता है
अधिक मास होने के कारण, अधिक मास कहलाया
स्वामी विहीन शुभ कार्य वर्जित, मलमास नाम धराया
शुभ कार्य नहीं होने से, मलमास निंदनीय होता था
स्वामी न होने का दर्द, मलमास को बहुत सताता था
अपनी पीड़ा लेकर एक दिन, मलमास श्री विष्णु समीप गए
अपना दर्द बताया श्री हरि को, श्री हरि प्रसन्न हुए
अब नहीं तुम्हें मलमास कहेंगे, अपना नाम तुम्हें मैं देता हूं
होंगे भगवत कार्य सिद्ध, पुरुषोत्तम नाम तुम्हें मैं देता हूं
स्वामी विहीन नहीं रहोगे, अब से मैं तुम्हारा स्वामी कहलाऊंगा
सिद्ध करूंगा सभी कार्य, तुम्हारे साथ मैं पूजा जाऊंगा
तभी से यह अधिक मास, पुरुषोत्तम मास कहलाया
जप तप पूजा-पाठ कथाएं, शिरोमणि मास कहाया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी