Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2023 · 1 min read

*पुरानी वाली अलमारी (लघुकथा)*

पुरानी वाली अलमारी (लघुकथा)
———————————————
नेता जी ने अपनी पहली वाली पार्टी को छोड़कर जब दूसरी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की ,तो उसके हिसाब से अपने कार्यालय में बहुत से फेरबदल किए । रंगाई-पुताई नए ढंग से करवाई । चार महापुरुषों के फोटो कार्यालय में उनकी कुर्सी के पीछे सुशोभित रहते थे । उन सब को हटा कर नेता जी ने चार नए महापुरुषों के फोटो लगाने का निर्देश कर्मचारियों को दिया ।
कर्मचारियों ने नए फोटो लगा दिए । पुराने हटाकर एक बंडल बांध दिया । फिर पूछने लगे “साहब इन पुराने फोटो का क्या करना है ? ”
नेता जी बोले “करना क्या है ! जो चाहे करो । हमारे यहाँ इनका क्या काम है ?”
कर्मचारी फोटो के बंडल उठाकर कार्यालय से बाहर जाने लगे । तभी नेताजी को कुछ याद आया । उन्होंने आवाज दी,
” रुको ! ऐसा करो ,इस बंडल को सँभाल कर पुरानी वाली अलमारी में रख दो ।”
■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

352 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
Anil chobisa
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
The_dk_poetry
तेरे जवाब का इंतज़ार
तेरे जवाब का इंतज़ार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
धर्म अर्थ कम मोक्ष
धर्म अर्थ कम मोक्ष
Dr.Pratibha Prakash
*चुनाव में महिला सीट का चक्कर (हास्य व्यंग्य)*
*चुनाव में महिला सीट का चक्कर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
!! उमंग !!
!! उमंग !!
Akash Yadav
- अपनो का स्वार्थीपन -
- अपनो का स्वार्थीपन -
bharat gehlot
“मां बनी मम्मी”
“मां बनी मम्मी”
पंकज कुमार कर्ण
क्रांति की बात ही ना करो
क्रांति की बात ही ना करो
Rohit yadav
वो शख्स अब मेरा नहीं रहा,
वो शख्स अब मेरा नहीं रहा,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गलत और सही
गलत और सही
Radhakishan R. Mundhra
एक सच ......
एक सच ......
sushil sarna
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नरभक्षी_गिद्ध
नरभक्षी_गिद्ध
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
साहित्य मेरा मन है
साहित्य मेरा मन है
Harminder Kaur
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
डरने लगता हूँ...
डरने लगता हूँ...
Aadarsh Dubey
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
"पते की बात"
Dr. Kishan tandon kranti
"ख़ामोशी"
Pushpraj Anant
चांद से सवाल
चांद से सवाल
Nanki Patre
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
पेड़ पौधों के प्रति मेरा वैज्ञानिक समर्पण
पेड़ पौधों के प्रति मेरा वैज्ञानिक समर्पण
Ms.Ankit Halke jha
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
Yogini kajol Pathak
एक दूसरे से बतियाएं
एक दूसरे से बतियाएं
surenderpal vaidya
प्रेरणा और पराक्रम
प्रेरणा और पराक्रम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विरहन
विरहन
umesh mehra
रास्ता दुर्गम राह कंटीली, कहीं शुष्क, कहीं गीली गीली
रास्ता दुर्गम राह कंटीली, कहीं शुष्क, कहीं गीली गीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
Loading...