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20 Aug 2023 · 1 min read

#आज_का_दोहा

#आज_का_दोहा
■ जो कहीं बहुत अंदर से उपजा। अनायास, एक निर्झर की तरह:-
“खाई पर्वत खंडहर
कूप नहीं हमराज़।
सबने लौटा दी मुझे
मेरी ही आवाज़।।”
●प्रणय प्रभात7●

Language: Hindi
1 Like · 116 Views
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