Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2022 · 1 min read

पुरानी यादें (भाग 01) श्रंगार छंद

पुरानी याद नये संदर्भ
श्रृंगार छंद 16
अंत में गुरू लघु
या लघु गुरू
हास्य कवि प्यारे गुरू प्रसाद।
सभी से न्यारे गुरू प्रसाद।।
छंद नभ तारे गुरू प्रसाद।
भाग के मारे गुरू प्रसाद।।
*********************
मिले न कभी बी ए, के बाद।
कभी कर सके नहीं फिर याद।
याद भी करते कैसे सही
कमी ऐसे साधन की रही

बताते दिल का पूरा हाल ।
सभी लेटर थे लिखे कमाल।
लेटरों का आदान प्रदान।
डालता था मुर्दे में जान।

रखें लेटर पुस्तक के बीच।
पढें दिल की बगिया लें सींच।
सभी कुछ छिपे छिपे की बात ।
पकड़ जाने का डर दिन रात ।

याद मुझको, सतीश टाकीज।
जहाँ खुश, होती यह नाचीज।
एक बोतल में पीते कोल्ड।
विचारों में थे पूरे बोल्ड ।।

नहीं चल सके एक ही राह।
पूर्व एम ए के हुआ ब्याह ।
हुई रातें ऐसी रंगीन ।
दें गईं बच्चे प्यारे तीन।

सभी पढ़लिखकर हुए जवान।
सभी के बने मकान दुकान।
सभी की चहल-पहल संतान।
सभी का खुद पर रहा रुझान।

गये यों ही जीवन के साल।
तभी आ गया करोना काल।
उसी में गये पती के प्राण ।
तभी से बहुत दुखी हूँ साँड़।

तुम्हें अब मोबाइल पर देख।
खुशी का लेख रही हूँ लेख।
भले सब बदल गये हैं टेस्ट।
भेजती तुम्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट।

कृपाकर कर लेना मंजूर।
बसे हैं वैसे काफी दूर ।
हुआ अब तो कमजोर शरीर।
समय ने तोड़ दिया बेपीर।

बताना अपने पूरे हाल।
कहाँ कैसा आया भूचाल।
सताई गई है मनोरमा ।
तुम्हें तो नई है मनोरमा ।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर
22/10/22

129 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
నా గ్రామం
నా గ్రామం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
Shashi Dhar Kumar
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
में बेरोजगारी पर स्वार
में बेरोजगारी पर स्वार
भरत कुमार सोलंकी
"संकल्प-शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
#मौसनी_मसखरी
#मौसनी_मसखरी
*Author प्रणय प्रभात*
सो रहा हूं
सो रहा हूं
Dr. Meenakshi Sharma
जीवन पर
जीवन पर
Dr fauzia Naseem shad
मन के घाव
मन के घाव
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*एक्सपायरी डेट ढूँढते रह जाओगे (हास्य व्यंग्य)*
*एक्सपायरी डेट ढूँढते रह जाओगे (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
अपनों का दीद है।
अपनों का दीद है।
Satish Srijan
बद मिजाज और बद दिमाग इंसान
बद मिजाज और बद दिमाग इंसान
shabina. Naaz
धर्म के नाम पे लोग यहां
धर्म के नाम पे लोग यहां
Mahesh Tiwari 'Ayan'
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
सत्य कुमार प्रेमी
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
तलास है उस इंसान की जो मेरे अंदर उस वक्त दर्द देख ले जब लोग
Rituraj shivem verma
She was the Mother - an ode to Mother Teresa
She was the Mother - an ode to Mother Teresa
Dhriti Mishra
भूल जा इस ज़माने को
भूल जा इस ज़माने को
Surinder blackpen
हर इश्क में रूह रोता है
हर इश्क में रूह रोता है
Pratibha Pandey
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
छोटे बच्चों की ऊँची आवाज़ को माँ -बाप नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर
DrLakshman Jha Parimal
मेरे बुद्ध महान !
मेरे बुद्ध महान !
मनोज कर्ण
गैरों से जायदा इंसान ,
गैरों से जायदा इंसान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
लालची नेता बंटता समाज
लालची नेता बंटता समाज
विजय कुमार अग्रवाल
मनुस्मृति का, राज रहा,
मनुस्मृति का, राज रहा,
SPK Sachin Lodhi
बुंदेली मुकरियां
बुंदेली मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सोचता हूँ  ऐ ज़िन्दगी  तुझको
सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
दोस्ती
दोस्ती
Rajni kapoor
गांधी के साथ हैं हम लोग
गांधी के साथ हैं हम लोग
Shekhar Chandra Mitra
Loading...