पुराना तजो जी, नवल को भजो जी,
पुराना तजो जी, नवल को भजो जी,
तुम जीवन को हर दिन नूतन रचो जी।।
ये सोचो जो बीता,वो बस सीख थी इक,
हर कठिनाई में छिपी नई रीत थी इक।।
भूला दो वो शिकवे, जो मन को जलाएँ,
चुनो पथ नया , जो कि मंज़िल दिलाए।
सबल हो गढ़ो तुम, नई प्रेरणा री,
जीवन में जगा नित नई चेतना री।।
इस जीवन मरण से थोड़ा ऊपर उठो जी।
तुम जीवन को हर दिन नूतन रचो जी।।
गिरा जो भी, उठकर चलना उसने सीखा,
दुखों से निपटकर हंँसना उसने सीखा।।
जो बीता वो तो अब सपना हुआ री!
सूरज आज का देखो अपना हुआ री।।
जीवन की रंगोली, नव रंग सजो जी।
तुम जीवन को हर दिन नूतन रचो जी।।
पुराना तजो जी, नवल को भजो जी।।
चला ये #दिसंबर न आएगा अब ये,
सुनो,बीस का चौबीस न लाएगा अब ये।।
दिए जा रहा वर्ष पच्चीस ये प्यारा री,
नए सपनों का फिर से बाग न्यारा री।।
शुभ आशीष देता तुम फूलो- फलो जी!
तुम जीवन को हर दिन नूतन रचो जी।।
पुराना तजो जी, नवल को भजो जी।।
नए ख्वाब संग नव उमंगें भी होंगी,
नये साल नूतन तरंगें भी होंगी।।
‘नीलम’ हौसला रख, तू विश्वास भी ख़ुद में,
उगा अपना सूरज अंधेरों की ज़िद में।।
बन कर्मठ कन्हाई पर सब छोड़ दो जी,
तुम जीवन को हर दिन नूतन रचो जी।।
पुराना तजो जी, नवल को भजो जी।।
नीलम शर्मा ✍️