पुरस्कार लऽ के नाचू (हास्य कविता)
पुरस्कार लऽ के नाचू
(हास्य कविता)
केकरो स चिन्हा परिचे अछि कारीगर
नहि यौ सरकार तऽ अहिं कहू की हम करू
त आउ हमरे स चिन्हा परिचे कए लियअ
आ पुरस्कार लऽ के नाचू।
अपने कुटुम बैसल छथि
अकेडमी आ चयन बोर्ड मे
लिख्खा परही करबाक कोन काज
तिकड़मबाजी कए लगबै छी पुरस्कारक भाँज।
हिनके कृपा स भेटल पुरस्कार
खुशी स लागल बोखार
कविता कहानी तऽ तेरहे बाईस मुदा
पुरस्कार लेल लगेलहुँ खूम जोगार।
अहाँ जे लिखलहुँ कारीगर
ओ लागल बड्ड नूनगर
मुदा बिनमतलबो हम जे लिखलियै
ओ लागल बड्ड चहटगर।
बिनमतलब के कथा साहित्य पर
अकेडमी सँ एक दिन आयल हकार
कुटुम बैसले रहथि ओहि ठाम
टटके भेटल पुरस्कार।
आन कतबो नीक किएक ने लिखलक
मुदा ओकरा ने कहियो आएत हकार
नहि छै ओकरा कोनो चिन्हा परिचे
पिछलगुआ टा के जल्दी भेटत पुरस्कार।
पुरस्कारक बदरबाँट भऽ रहल अछि
जाति वर्गक नाम पर लेखक के बाँटू
जूनि पछुआउ पिछलगुआ सभ आउ आगू
अहाँ पुरस्कार लऽ के खूम नाचू।
साहित्यक मठाधीश सभ
शुरू केलैन पुरस्कार
यथार्थवादी चितंक आ लिखनिहार
हुनका लेल भऽ गेलैथ बेकार।
एक्को मिनट देरी नहि अहाँ करू
हुनके गुणगान कए कथा अहाँ बाचू
नहि तऽ जिनगी भरि पाछुए रहि जाएब
पुरस्कारक जोगार मे जीजान स लागू।
अहि दुआरे पछुआले रहि गेल कारीगर
कहियो ने केलक केकरो आगू-पाछू
देखैत छियै आब हम दोसर पुरस्कार दुआरे
जोगार लगा करैत छी हुनकर आगू-पाछू।
बेस त बड्ड बढ़िया हम शुभकामना दैत छी
दोसर पुरस्कार अहाँ के जल्दीए भेट जाए
जल्दी जोगार मे अहाँ लागू
अहाँ पुरस्कार लऽ के खूम नाचू।
लेखकः- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)