पुकार
पुकार
उदित हुए प्रभाकर स्वर्णिम बेला आयी
मंदिर के घंटे- घड़ियाल दे रहे सुनाईं
दूर से आजान की आवाज़ है आयी
जो बोले सोनिहाल गुहार लगायी
है ईश्वर हे खुदा,हे नानक साँई
अब हमारी भी सुन ले भाई
ईश्वर बोला,सुनता हूँ ना
हर किसी की सुनता हूँ
सबकी क़िस्मत बुनता हूँ
अनंत वात्सल्य व ममता हूँ
तू बाहर ढूँढे,मैं तेरे अंदर रहता हूँ
उठ,जाग, अंतर्मन स्वयम् को टटोल
प्रकाश आने दे मन का वातायन खोल
क्यों हरपल बजाता रहता शक की धुन
मैं हूँ ना बावरे,तू मुझे तो चुन, मुझे तो चुन
रेखा