पुकार-क्षणिका
1
विलुप्त बंशी
लिये हाथों में गिटार
मगन कृष्ण
मनाता है जश्न
संग दुःशासन,
लाचार द्रौपदी
की
व्यर्थ पुकार
2
दुम्दुभि वादन
सदावर्त की
लम्बी कतार
अंत में
एक कृशकाय बुढ़िया
पारी का इंतजार
काश
इसे भी
पुकार ले
ऊपरवाला या चोबदार
-©नवल किशोर सिंह