पुकारती है खनकती हुई चूड़ियाँ तुमको।
पुकारती है खनकती हुई चूड़ियाँ तुमको।
सरक- सरक के चुनर देती सदाएँ तुमको।
चहक – चहक के परिंदे भी पूछते दिल की,
झिझक झिझक के इशारों में दिखाया तुमको।
गज़ल में मेरी तू अल्फ़ाज़ बन समाया यूँ
महक – महक के गुलिस्तां ने बुलाया तुमको।
सभी उम्मीद हैं टूटी अधूरे ख्वाब रहे,
भटक – भटक के निगाहें हैं ढूँडती तुमको।
बहक – बहक के झूमका भी झूमता ‘नीलम’
सिसक – सिसक के लबों ने है पुकारा तुमको।
नीलम शर्मा ✍️