पी के माँ का दूध कुछ…….
काफिया : आर
वज्न : २१२२_२१२२_२१२२
मैंने ढूढ़ा एक कई सरकार निकले //
पी के माँ का दूध कुछ गद्दार निकले //
छिप के पल्लू में जो रहते थे सुकूं से,,
वो बड़े ही जञ्गली खूँखार निकले //
जिन्हें सिर आँखों बिठाके पूजते हैं,,
अब वही बेकार….रिश्तेदार निकले //
रहनुमाओं को सुना है हर दफे ही,,
पर जुबाँ से तीर-ए-औज़ार निकले //
बोल मोहब्बत के हम हर बार बोले,,
देखिए चतुराई, वो यय्यार निकले //
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दिनेश एल० “जैहिंद”
24. 01. 2019