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2 Sep 2019 · 1 min read

पी के माँ का दूध कुछ…….

काफिया : आर
वज्न : २१२२_२१२२_२१२२

मैंने ढूढ़ा एक कई सरकार निकले //
पी के माँ का दूध कुछ गद्दार निकले //

छिप के पल्लू में जो रहते थे सुकूं से,,
वो बड़े ही जञ्गली खूँखार निकले //

जिन्हें सिर आँखों बिठाके पूजते हैं,,
अब वही बेकार….रिश्तेदार निकले //

रहनुमाओं को सुना है हर दफे ही,,
पर जुबाँ से तीर-ए-औज़ार निकले //

बोल मोहब्बत के हम हर बार बोले,,
देखिए चतुराई, वो यय्यार निकले //

=============
दिनेश एल० “जैहिंद”
24. 01. 2019

2 Likes · 346 Views

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