पीर आँसुओं संग बह रही है….!!!!
पीर आँसुओं संग बह रही है,
आज भी ज़िंदगी की शामें,
तुम्हारे इंतज़ार में तन्हा रह रही हैं…
कोई आके…
पढे़ इन आँखों को,
ये कितना कुछ कह रही हैं…
मृत्यु ह्दय की तो उसी पल हो गयी थी,
लेकिन ये ज़िंदगी दर्द- ए- जुदाई का गम सह रही है…
जो दिलकश-
ख्वाबों का मकां था हमारा…
मुनाफ़िक-
हिला गया नींव…
देखो ये इमारत धीरे-धीरे ढह रही है…!!!!
-ज्योति खारी