“पिपली लाठीचार्ज” इंसाफ़ मिले किसान को…
“कब समझोगे इस भोले अन्नदाता की पीड़ा !
उठा लो ग़रीब किसान के उत्थान का बीड़ा !!”
मिलती है ग़रीबी उस मेहनती किसान को !
जिसकी बदौलत मिलता अन्न जहान को !!
देती नहीं सरकार अन्न की सही क़ीमत भी !
हक मांगे तो मिले लाठीचार्ज किसान को !!
मिलना चाहिए था सम्मान जिस किसान को !
मार रही है लाठी से सरकार उस किसान को !!
एक दिन करेगी क़ुदरत इंसाफ़ उन सबका भी !
दिला ना सके जो इंसाफ़ देश के किसान को !!
सब बिख़र ना जाए सम्भाल लो कमान को !
वक़्त है बचा लो धरा के चहेते किसान को !!
उगाकर अन्न भूख़ सबकी मिटाता किसान है !
चुका फ़र्ज़ अपना और बचा ले किसान को !!
अग़र हम बचा ना पाए देश के किसान को !
भूखे मरने की नौबत आ जाएगी इंसान को !!
ये धरा भी हमको धिक्कारेगी चीख़ चीख़ के !
जो इंसाफ़ ना दिलाया अन्नदाता किसान को !!