पिरामिड कविता- राना लिधौरी
पिरामिड कविता-
लो
माह
कातिक
आ गऔ है
जै कतकारी
उठत भुंरां सें,
तला पे सपरवे,
भजन गाउत जात।
कन्हैया खां खुस करत।
उतै पै नोनो रास रचात।
कतकारी के मधुर गीत सें
आनंद भौतई सबखां आउत।।
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-राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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