पिय
पीर जिया की पिय नहीं समझे
जग को दिखान से का होय जाहि
आँख न समझे आँख की व्याधा
नीर बहाये से का होय जाहि
नदिया बन गई नैनन कोरें
मिलन ज्वार हिय में उठि आयि
सावन बन के बदरा वरषे
प्यास जिया की बुझ नहि पायि
मेघा रो रो विरह सुनावे
ले ले नाम बस तोहे बुलायि