“पिया” तुम बिन
“पिया” तुम बिन इस “ जहाँ ” में जी नहीं पाएंगे हम ,
तेरी यादों के सहारे जीवन बसर नहीं कर पाएंगे हम I
जिस तरफ मेरी नज़र जाये उधर बस तुमको ही पाए,
हम करीब जाये तू मेरी आँखों से दूर ओझल हो जाये,
यादों के झरोखों से मेरी आँखें तुझे पहचान न पाए ,
“आँसुओं” से नम हुई आँखें तब हम तुझे जान पाए ,
“पिया” तुम बिन इस “ जहाँ ” में जी नहीं पाएंगे हम ,
तेरी यादों के सहारे जीवन बसर नहीं कर पाएंगे हम I
तुम्हारा दिल इतना खूबसूरत होगा, मैं समझ न पाई ,
मेरे अश्कों से भरे नैन सूरज की रौशनी देख न पाई,
तेरी बेइंतहा मोहब्बत के जाम को कभी भी पी न पाई,
मनमंदिर में तेरी बेमिसाल “मूरत” को जगह न दे पाई I
“पिया” तुम बिन इस “ जहाँ ” में जी नहीं पाएंगे हम ,
तेरी यादों के सहारे जीवन बसर नहीं कर पाएंगे हम I
मेरी जिंदगी का मालिक रंग-२के फूलों में नज़र आता है,
कभी गुलाब तो कभी गेंदा तो कभी कमल बन जाता है,
अपनी खुशबुओं से इस गुलशन में ख़ुशी बिखेर जाता है,
फूलों के चमन को “राज” बार-२ बंटवारा कर जाता है I
“पिया” तुम बिन इस “ जहाँ ” में जी नहीं पाएंगे हम ,
तेरी यादों के सहारे जीवन बसर नहीं कर पाएंगे हम I
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देशराज “ राज ”
कानपुर