*पियक्कड़* (हास्य कुंडलिया)
पियक्कड़ (हास्य कुंडलिया)
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श्रद्धा से अभिभूत है , एकनिष्ठ है प्यार
सबसे जग में दूरियाँ , प्याला केवल यार
प्याला केवल यार , धन्य है पीने वाला
सुबह दोपहर शाम ,साँस में बस मधुशाला
कहते रवि कविराय , होंठ पर रखता अद्धा
यों दिन की शुरुआत,पियक्कड़ की यह श्रद्धा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451