पितृ महिमा
पितृ महिमा
~~°~~°~~°
पितृवचन सदा पालन करे जो,दीन हीन वो कभी नहीं होते..
पिता ही प्रतिपालक है जग में,पथ प्रदर्शक भी वही होते।
पुत्र श्रीराम ने किया वनगमन,पितृ वचन प्रण पूरा करने ,
पापी असुरों को संहार किया, हर मनुज मुख में हैं बसते।
पितृवचन सदा पालन करे जो,दीन हीन वो कभी नहीं होते..
पितृ वचनों को निभाने ही,यमराज सम्मुख नचिकेता गए,
आत्म ज्ञान रहस्य पाया, मृत्यु से भी वो विचलित न हुए।
शान्तनु की अतृप्त इच्छापूर्ति को,गंगापुत्र ने ली थी प्रतिज्ञा,
आजन्म अविवाहित रहकर,जगत के भीष्म पितामह बनते।
पितृवचन सदा पालन करे जो,दीन हीन वो कभी नहीं होते..
श्रवण कुमार जैसा पुत्र हो मेरा,सब तात यह इच्छा रखते,
कंधों पर भार उठाकर जो सुत,तीर्थयात्रा करा नहीं थकते।
आज्ञापालन पितृसेवा ये मधुर शब्द,देवों के भावों में बसते,
दुर्लभ है यह मानवजन्म पर, कर्मफल भी हैं यही मिलते।
पितृवचन सदा पालन करे जो,दीन हीन वो कभी नहीं होते..
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार)