‘पितृ’ (घनाक्षरी)
कहलाये श्राद्ध पक्ष,
अश्विन का कृष्ण पक्ष,
कृतज्ञ हो श्रद्धा धार,
श्राद्ध कर्म कीजिए।
देव सम मान देना,
हृदय में स्थान देना,
तिल दुग्ध अंजली से,
खूब मान कीजिए।
जीवन में जो पाया है,
सब उनकी माया है,
अंश ही अर्पण कर,
आशीष पा लीजिए।
तुष्ट हो गमन करें,
भंडार पूरित रहें,
विनीत हो आशीष लें,
झोली फैला लीजिए ।
गोदाम्बरी नेगी
(हरिद्वार उत्तराखंड)