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14 Jul 2018 · 1 min read

पिता

जो पूछा किसीने तेरा नाम क्या,
मैंने अपने पिता का दम़ कह दिया।

जो पूछा हैं कैसे तेरे पिता,
मैंने घावों की उनको मरहम़ कह दिया।।

जो पूछा पिता तेरे करते हैं क्या,
मैंने उनको ख़ुदा का करम़ कह दिया।

जो पूछा पिता की शक़्ल तो बता,
मैंने सूरज का उनको भरम़ कह दिया।

पूछा कितने अटल हैं तेरे पिता,
मैंने उनको विधाता का नियम कह दिया।

पूछा कितने अल़ग हैं तेरे पिता,
मैने उनको पुरुषोत्तम कह दिया।।

आज़ मुझसे खु़दा भी ना़राज़ है,
मैंने उनको को ही अपना धरम़ कह दिया।

अब ना़राज़ मुझसे ये का़यना़त है ,
मैंने उस पर पिता का रहम कह दिया।

जो पूछा है रब ने ऐ ‘ सिद्दू ‘ बता,
क्यों मुझसे भी ऊपर पिता को रखा।

मैंने झ़ट से कहा अब सुनले ख़ुदा,
जो न होता पिता तो न होता ख़ुदा।

जो माता-पिता को ही माने ख़ुदा,
वो रब के कलेजे में रहेगा वो ही सदा।

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