पिता
पिता के साए में बच्चों का भविष्य संवर जाता है,
अगर मां गृहस्वामिनी है,
तो पिता वित्त विशेषज्ञ है,
बच्चे के पैदा होते ही भविष्य में होने वाले,
खर्च का हिसाब और उसकी व्यवस्था,
सब कुछ पिता करता है।
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पिता का स्वभाव कठोर होते हुए भी सरल होता है,
पिता की कठोरता हालांकि ,
बच्चों को कुछ समय के लिए अखरती है।
किंतु पिता की दूरदर्शी सोच और विजन,
बच्चे के भविष्य में फलदायी होती है,
अपना तन ढकने के लिए कपड़े हो या न हो,
बच्चों को कपड़ों की कमी नहीं आने देता।
खुद अपना पेट काट- काट कर,
बच्चों को भरपेट खिलाता है।
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अगर मां किसी देवी का स्वरूप है, तो,
पिता भी किसी देवता से कम नहीं होता,
अपने अरमानों का गला घोंट कर,
बच्चों के शौक पूरा करता है।
इस सृष्टि में पिता ही एक ऐसा जीव है,जो,
अपने बच्चों को सफलता में,
अपने से आगे निकल जाने की चाह रखता है।
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पिता एक ऐसा मूक नायक होता है,
जो शांत रहकर बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित रहता है।
अपने बच्चों के मनोबल को ऊंचा बढ़ाता है,
परिवार में शांति का माहौल बनाने के लिए,
अक्सर शालीन बना रहता है।
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ऐसे देवता स्वरूप पिता का ,
हमेशा आदर होना आवश्यक है,
पिता है तो भविष्य में ऊंची उड़ान है।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।