पिता
Happy Father’s day
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धूप छाँव सब सहते रहते ,देते जीवन सार है
जीवन दर्शक रहते पिता,यहीं जीव आधार है।
संकट की हर बेला में यह,
बनते सदा रक्षा कवच।
रोज दिवस ही अष्टयाम तक,
जपते रहते हृदय सुवच।
मूलांक से बन खड़े पिता,श्वासों बसे उदगार है।
जीवन दर्शक रहते पिता,यहीं जीव आधार है।
जिम्मेदारी काँधे बैठे,
विजय गीत गाये मुस्कान।
वक्त मार सह कर लाते हैं,
यश कीर्ति मान सम्मान।
कृशकाय होकर भी पिता,करते रहे उपकार हैं।
जीवन दर्शक रहते पिता,यहीं जीव आधार है।
परुष श्रीफल आच्छादन से,
भीतर मृदु मधु नीर है।
आस आचरण सींच-सींच कर,
अतिशय रखें उर धीर हैं।
जीवन राह दर्शक है पिता,उमंग भरा उपहार हैं।
जीवन दर्शक रहते पिता,यहीं जीव आधार है।
संतोषी देवी।