पिता
छोटी परेशानी पर बच्चों के हो जाते परेशां
खड़े हिमालय की तरह रहते हैं जो हमेशा
बरगद से जो है विशाल शाख घनी
कभी होने नहीं देते बच्चों को कमी
अपनी सेहत से ज्यादा बच्चों का है ख्याल
खुद कमी में रहकर भी रखते नहीं मलाल
सारी पूंजी सारी ऊर्जा लगा बच्चों पर आज
उनका भविष्य बनाते बिगड़े ना उनके काज़
पढ़ लिख कर जब बच्चे हो जाते हैं बड़े
रहते हैं विदेश में नहीं पिता के साथ खड़े
जिनकी उंगली पकड़ कर पाया बेटे ने सम्मान
वही पुत्र है आजकल नहीं करते पिता का मान अफसोस मात -पिता को होता क्यों भेजा विदेश
अपनी गलती पर पछतावा क्यों नहीं रखा देश ?
जिस पुत्र के लिए त्यागा अपना सब सुख साज
आज उसी बच्चे ने पहनाया कांटो भरा हुआ ताज़
जो बच्चे रखते हैं माता-पिता का ध्यान
उन्ही के घर समृद्धि रहती खुश होते भगवान
चरणों में है जिनके जन्नत पूरी होती है हर मन्नत
मात-पिता इस दुनिया में सबसे बड़ी होते हिम्मत।