पिता
ममता दुखदायी न हो।
सोच पिता को अभिनय करना पड़ता,
एक पाषाण हृदय अपनाना पड़ता।
माता है ममता की मूरत,
वही पिता सत्य की सूरत।
सुंदर अहसास इसमें भी है,
ममता का वास इसमें भी है।
तपती गर्म दोपहरी जीवन,
ममता दुखदायी न हो।
सोच पिता को अभिनय करना पड़ता,
एक पाषाण हृदय अपनाना पड़ता।
माता सहज सरल अच्छाई,
वही पिता कठिन डगर सच्चाई।
शीतल सुखद छाँव इसमें भी है,
स्नेह के मृदु फल इसमें भी है।
कड़वा घूंट पीना है जीवन,
ममता दुखदायी न हो।
सोच पिता को अभिनय करना पड़ता,
एक पाषाण हृदय अपनाना पड़ता।
सुंदर स्वप्नों की अनुभूति इसमें भी है,
नरम बिछौना इसमें भी है।
पारियों के किस्से इसमें भी है,
लोरी गीत संसार इसमें भी है।
पथरीली राहें है जीवन,
ममता दुखदायी न हो।
सोच पिता को अभिनय करना पड़ता,
एक पाषाण हृदय अपनाना पड़ता।
संतोषी देवी
शाहपुरा जयपुर राजस्थान।