पिता
उस सृजनहार का माध्यम है तु
शिशुओं का जनक है तु
पोरुष की ताक़त है तु
कर्तव्यों की परिभाषा है तु
जिम्मेदारियों का पर्वत है तु
अपने परिवार की नींव है तु
परिवार की खुशियां चाहने वाला फ़रिश्ता है तु
हर दिन दुखों से लड़ने वाला है तु
अपने को मिटाकर अंकुर को वृक्ष बनाने वाला है तु
अनुभवों का खजाना है तु
अपनों को जोड़ने वाला सेतु है तु
मरकर भी चिर स्मरणीय रहने वाला है तु
इसीलिए पिता है तु
लेखक
प्रदीप कुमार नागरवाल
ग्राम पोस्ट बांसखोह तहसील बस्सी जिला जयपुर