पिता ही फरिश्ता
पिता ही फरिश्ता
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जब कभी भी विपदा आती,
सारथी बन जाते पापा है।
हम बच्चों के लिए अपनी इच्छाओं का
दमन कर देते हैं ।
और हम सब में खुश रहते हैं,
पापा हम बच्चों के लिए आप सुबह
का प्रकाश है—–
जीवन में धीरज रखना आपने
ही सिखाया है।
हम बच्चों को तरास कर,
आपने ही हीरा बनाया है ।
तपती हुई धूप में तप कर,
हमको छांव देते पिता हैं ।
हम सबके लिए तो आप रब,
मसीहा,या कहें फरिश्ता है!
तुमसे ही हमारा जीवन ,
गुलज़ार है ।
जब कभी भी विपदा आती—–
सारथी बन जाते पापा है———–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर