*पिता से जुड़ी यादें*
पितृ दिवस आयोजन*
संस्मरण
बात 1994 की है जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती थ। पापा ने एक दिन बुलाकर कहा कि तुम मेरी बेटी नहीं बेटा हो। कोई भी बात छुपाने की जरूरत नहीं है। कोई कुछ कहे तो सबसे पहले मुझे आकर बताना। क्योंकि आगे मुझे नौवीं कक्षा में जाना था और नौवीं से लड़के-लड़कियों का इकट्ठा स्कूल था तो पिता का थोड़ा डरना तो स्वाभाविक ही था।
एक दिन ट्यूशन पर रॉकी नाम के लड़के ने मुझे कहा कि वह नए साल पर मुझे एक घड़ी गिफ्ट करना चाहता है और वह मुझे पसंद करता है। यह सारी बात मैंने घर आकर पापा को बता दी। पापा उसी दिन स्कूल में गए और उस लड़के की बहुत पिटाई की।चूँकि मैं अभी भी आठवीं कक्षा में ही थी। 9वी में अभी मुझे उस स्कूल में जाना था, जिस स्कूल के लड़के की पिटाई हुई थी। थोड़े दिन के बाद आठवीं की परीक्षाएँ हो गई और मैं नौवीं कक्षा में आ गई।जैसे ही मेरी नए स्कूल में एंट्री हुई तो सभी बच्चों ने यह कहना शुरू कर दिया कि यह वही लड़की है जिसने लड़के की पिटाई करवाई थी।खैर कक्षा में सब मुझसे डरने लगे। उसके बाद 12वीं कक्षा तक कक्षा मैं उस स्कूल में पढ़ी परंतु किसी की भी मुझे कुछ भी गलत कहने की हिम्मत ना हुई।
आज भी जब मुझे ये बात याद आ जाती है तो पापा मुझे अपने अंगरक्षक की तरह लगते हैं।मेरे पापा ने मुझे हमेशा मुझे कठिन परिस्थितियों में लड़ना सिखाया। उनके प्यार के ऋण को मैं जन्म-जन्मांतर तक भी नहीं उतार सकती।
16जुलाई 2022 7:55pm
✍ माधुरी शर्मा”मधुर”
अंबाला हरियाणा।