पिता को मैं क्या लिखूं ?
पिता का पराक्रम लिखूं, शौर्य लिखूं,साहस लिखूं या लिखूं पिता के पुरुषार्थ की कहानी
पिता का त्याग लिखूं, बलिदान लिखूं, फ़र्ज़ लिखूं या लिखूं जिसने खत्म कर दी अपनी जवानी
पिता का प्रेम लिखूं, प्रभाव लिखूं, प्रताप लिखूं या लिखूं पिता के कर्म की अमिट निशानी
आप ही बताइए अपनी कविता में मैं क्या लिखूं?
पिता का प्रयत्न लिखूं,उद्यम लिखूं, शक्ति लिखूं या लिखूं जिसने आपदा से भी हार नहीं मानी
पिता का धैर्य लिखूं, वीरता लिखूं, सहनशीलता लिखूं या लिखूं जिसने स्वयं से ही युद्ध है ठानी
पिता का जयकार लिखूं, उपकार लिखूं, संस्कार लिखूं या लिखूं जो कर्ण और हरिश्चंद्र से बढ़कर है दानी
आप ही बताइए अपनी कविता में मैं क्या लिखूं?
पिता का आचरण लिखूं, तेज़ लिखूं, वचनबद्धता लिखूं या लिखूं जिसके हृदय को प्रभावित नहीं करती हानि
पिता का प्रकोप लिखूं, दूरदर्शिता लिखूं, जीवात्मा लिखूं या लिखूं जिसकी गाथा नहीं होती कभी भी पुरानी
पिता का पुण्य लिखूं, कौशल लिखूं, दृढ़ संकल्प लिखूं या लिखूं जिसके नेत्रों ने स्पर्श नहीं किया है पानी
“आदित्य”की लेखनी तू ही बता पिता की इस कविता में मैं क्या लिखूं?
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की अलख
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर,छ.ग.