पिता के दर्द
विधा-कुण्डलिया
कइसे-कइसे के इहाँ,अइलें सोंच सहेज।
बेटहा क ई माँङ बा,दुलहिन अउर दहेज।
दुलहिन अउर दहेज ,बराबर दूनू चाहीं।
ना तऽ देब चहेट,करब हम शादी नाहीं।
सुनि क बेटिहा ठाढ़,काठ मरले हो जइसे।
लोभी बा दहिजार,बियाहब बेटी कइसे।।
**माया शर्मा**