Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2023 · 1 min read

पिता का सपना

अपने बच्चों में
मैं अपना भविष्य
सजाता हूंँ,
अपने अधूरे सपने
पूरे करने की आस
संजोता हूंँ,
एक चमकदार पत्थर को
कोहिनूर की तरह
तराशता हूंँ,
उनका बढ़ना, पढ़ना, खेलना,
बड़े शिद्दत से
निहारता हूंँ,
कभी पड़ जाएँ बीमार,
उनके सिरहाने में पूरी रात,
गुजारता हूंँ,
याद आते पिताजी,
जिनका था मैं सपना, यह सोच खुद को
धिक्कारता हूंँ,
क्या पूरा किया उनका सपना?
मन में यह सवाल, बारम्बार
दुहराता हूंँ।

श्री रमण ‘श्रीपद्’
बेगूसराय

Language: Hindi
3 Likes · 144 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
View all
You may also like:
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
योग करते जाओ
योग करते जाओ
Sandeep Pande
*** आकांक्षा : आसमान की उड़ान..! ***
*** आकांक्षा : आसमान की उड़ान..! ***
VEDANTA PATEL
सामाजिक रिवाज
सामाजिक रिवाज
अनिल "आदर्श"
"जीवन की सार्थकता"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ नही हो...
कुछ नही हो...
Sapna K S
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
उसकी आंखों से छलकता प्यार
उसकी आंखों से छलकता प्यार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
Dr MusafiR BaithA
2532.पूर्णिका
2532.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मैं मुश्किलों के आगे कम नहीं टिकता
मैं मुश्किलों के आगे कम नहीं टिकता
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हक हैं हमें भी कहने दो
हक हैं हमें भी कहने दो
SHAMA PARVEEN
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
**माटी जन्मभूमि की**
**माटी जन्मभूमि की**
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
संकल्प का अभाव
संकल्प का अभाव
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
रिश्ता कमज़ोर
रिश्ता कमज़ोर
Dr fauzia Naseem shad
ऐसे भी मंत्री
ऐसे भी मंत्री
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सुबह की नींद सबको प्यारी होती है।
सुबह की नींद सबको प्यारी होती है।
Yogendra Chaturwedi
चाँद कुछ इस तरह से पास आया…
चाँद कुछ इस तरह से पास आया…
Anand Kumar
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
ब्रांड. . . .
ब्रांड. . . .
sushil sarna
*धन्यवाद*
*धन्यवाद*
Shashi kala vyas
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
Praveen Sain
अनंत की ओर _ 1 of 25
अनंत की ओर _ 1 of 25
Kshma Urmila
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
*समान नागरिक संहिता गीत*
*समान नागरिक संहिता गीत*
Ravi Prakash
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम ,   रहेंगे जुदा ना ,ना  बिछुड़ेंगे
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम , रहेंगे जुदा ना ,ना बिछुड़ेंगे
DrLakshman Jha Parimal
Loading...