पिता का अभिमान बेटियाँ
एक पिता का अभिमान होती है!
कुल की शान कहीं जाती है! बेटियाँ
घर की रौनक होती है!
परिवार बढ़ाती है!बेटियाँ
जिस तरह पुष्प की अभिलाषा होती है!
उसी तरह पिता की अभिलाषा होती है। बेटियाँ
माँ की छाया पिता माया
शादियों की रौनक होती है! बेटियाँ
दादी की अच्छी सिख सीखती है!
दादा की पगड़ी का मान होती है! बेटियाँ
वंश की बैल होती है!
अच्छा लिखपड़ कलेक्टर बनती है! बेटियां
भाई का आत्म सम्मान
सुनी कलाई को हमेशा संजीदा रखती है! बेटियाँ
फिर पता नही क्या हो जाता है!
सब भूल कर घर छोड़कर कर
माता पिता भाई भाभी को ठुकरा कर
-:भाग जाती है!:-
कुछ बेटियाँ कुछ बेटियाँ कुछ बेटियाँ
लेखक:- उमेश बैरवा
इंदौर से