पिता एक उम्मीद है, एक आस है
पिता एक उम्मीद है, एक आस है,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है!!
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है,
उसके दिल में दफन कई मर्म हैं!!
पिता ज़मीर है पिता मेरी जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है!!
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
भगवान का एक रूप पिता का शरीर है!!
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है,
इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है!!
बचपन में मुझे खुश करने वाला खिलौना है,
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है!!
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लडऩे को वो दो धारी तलवार है!!
पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है,
सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”