पिता आप महान हो
पिता आप महान हो
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पिता मेरा ताकत और विश्वास है,
दिल से जुड़ा खास है।
उनकी प्रेरणा हमेशा ,
मन में बसाया रहता हूं।
कभी पीछे नहीं रहता,
सफलता की यही राज है।
पिता जी ने जो संस्कार दिए,
उसे कैसे भूल जाऊं।
अब मैं भी एक पिता हूं,
संस्कार मेरे बेटे को सिखाऊं ।
मेहनत करने के लिए बताया,
कठिन रास्ते पर चलना सिखाया।
असफलताओं से मत डरना,
आगे बढ़ने का मंत्र बतलाया।
पिता आप महान हो,
मेरा जीवन का तारणहार हो।
आपका सपना पूरा करूंगा,
अडिग रहूंगा निर्भीक रहूंगा।
डिजेंद्र की ये अटल विश्वास,
दिन दुखियों की सेवा करूंगा।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822